23 साल से कोन्स्टेबल, पुलिस सब इन्स्पेक्टर से लेकर पुलिस इन्स्पेक्टर तक सुभाषचंद्र शर्मा की शानदार सफर

हरियाणा गौड़ ब्राह्मण समाज में कई प्रतिभाएं हैं जिनके बारे में आज तक किसी को जानकारी या गहन जानकारी नहीं है। गुजरात पत्रिका की टीम ने गुजरात के प्रतिभाशाली और सफल लोगों की कहानियां लिखने का अभियान शुरू किया है. कई युवा अच्छे व्यवसाय या पेशे के कारण उच्च शिक्षा पर ध्यान नहीं देते हैं। वह बचपन से ही बिजनेस में व्यस्त नजर आते हैं। लेकिन वे अपने जीवन में आए उज्ज्वल करियर बनाने के अवसर को गँवा देते हैं। लेकिन वे इस अवसर का लाभ उठाते हुए, समय और परिस्थितियों के विपरीत सोचते हुए कड़ी मेहनत से निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने की स्थिति में पहुंच गए हैं। लेकिन एक शख्स ऐसा भी है जिसने इस समय का महत्व समझते हुए अपने उस वख्त के समय और हालात के विपरीत कड़ी मेहनत करके निर्धारित लक्ष्य को हासिल कर एक मुकाम तक पहुंचे है। हम एक ऐसे दिग्गज अधिकारी के बारे में बात करना चाहेंगे जो दूध की दुकान चलाने से लेकर गुजरात पुलिस में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के पुलिस इंस्पेक्टर बने। बात उत्तर गुजरात के साबरकांठा जिले के इडर तहसील के चोरीवाड गांव के समाजबंधु सुभाष चंद्र शर्मा की है। वह पिछले 23 वर्षों से गुजरात पुलिस में सेवारत हैं। वर्तमान में, सुभाष चंद्र शर्मा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो-गांधीनगर में एक पुलिस इंस्पेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। इस प्रकार, समाज में हर कोई सुभाष चंद्र शर्मा को एक पुलिस अधिकारी के रूप में जानता है। लेकिन उनके संघर्ष और उनके अथक प्रयासों से मिली सफलता के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हम उनके बारे में रोचक तथ्य समाज के सामने रखना चाहते है। जो युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत साबित होगी।


चोरीवाड में दूध-मावा की दुकान चलाने से लेकर ACB में पुलिस इन्स्पेक्टर बनने का सफर

उत्तरी गुजरात के साबरकांठा जिले के इडर तहसील का चोरीवाड गांव सुभाष चंद्र छत्रपाल शर्मा का जन्मस्थान है। 1 अप्रैल 1981 के दिन जन्मे सुभाषचंद्र बचपन से ही पढ़ाई में बेहद प्रतिभाशाली रहे । उस समय उनके पिता छत्रपाल नानीग्राम शर्मा स्वयं एक व्यवसायी के रूप में कार्य करते रहे। सुभाषजी सातवीं कक्षा के बाद अपने पिता के बिजनेस में व्यस्त रहने लगे थे. उस वक्त राजदूत बाइक पर दूध भरने और लाने लेजाने का काम किया करते थे. 40 किलोमीटर तक दूर से दूध लाते थे. बता दें कि वह करीब छ से सात साल तक अपने पिता के बिजनेस में व्यस्त रहे थे. 10वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उनके मन में पुलिस विभाग में भर्ती होने की प्रबल इच्छा जागृत हुई । लेकिन उस समय न तो मार्गदर्शक था और न ही अपने किसी समाजबंधु की उस मामले में रुचि थी। उन्होने कक्षा 1 से 10 वी तक की पढाई सरकारी स्कूल में की थी और 11-12वी सायन्स की पढाई चोरीवाड के पास के कडियादरा गांव के स्कूल में की। 10वीं की पढ़ाई के बाद पुलिस कांस्टेबल की डायरेक्ट भर्ती निकली. उन्होने उसी वख्त तय कर लिया कि किसी भी कीमत पर यह परीक्षा देनी है और इसमें सफलता भी हासिल करनी है. उस समय उनके माता-पिता उनकी इच्छा जानते थे और उन्होंने बेटे का बहुत समर्थन भी किया। सुभाषचंद्र अपने माता पिता के सहयोग एवं आशीर्वाद से आज यहां तक पहुंचे है. उनके लिए आज भी अपने माता और पिता आदर्श रोल मोडल है। उस वख्त ऐसा नहीं था कि बिजनेस नहीं चल रहा था या कोई बड़ा बिजनेस नहीं किया जा सकता था। लेकिन उन्होने बिजनेस से कुछ अलग करना चाहा। उन्होने कांस्टेबल परीक्षा की तैयारी के लिए गहन अध्ययन शुरू किया। परीक्षा की तारीख नजदीक आ गई थी. आत्मविश्वास एवं पूरी तैयारी के साथ वह परीक्षा देने गए और जब रिजल्ट आया तो परिवार के सभी सदस्य खुश हो गए। उन्होने पुलिस कांस्टेबल परीक्षा वर्ष 2001 में सफलतापूर्वक उत्तीर्ण कर ली थी। बाद में ट्रेनिंग के लिए जूनागढ़ पुलिस ट्रेनिंग सेंटर गए। प्रशिक्षण के बाद वर्ष 2002 से अहमदाबाद में पुलिस कांस्टेबल के पद पर तैनात हुए। और वर्ष 2010 तक अहमदाबाद में पुलिस कांस्टेबल के पद पर अलग अलग जगहो पर जिम्मेदारी निभाई। एक और खास बात बता दे कि साल 2010 में उनका चयन पुलिस सब-इंस्पेक्टर के पद पर हुआ, उतना ही नही वर्ष 2012 में भी पुलिस सब इंस्पेक्टर वह सिलेक्ट हुए थे।


वर्ष 2022 में पुलिस इन्स्पेक्टर में प्रमोशन हुआ, एन्टी करप्शन ब्युरो में मिली जिम्मेदारी

कोन्स्टेबल के पद पर रहते हुए पुलिस सब इन्स्पेक्टर बनने की इच्छा थी.फिर क्या वही से शुरु हुआ पुलिस सब इन्स्पेक्टर बनने का रास्ता.साल 2010 में पुलिस सब इंस्पेक्टर की भर्ती निकली थी.सरकार से मंजूरी मिलने के बाद उस परीक्षा की तैयारी भी शुरू की. ईश्वर की कृपा और माता-पिता के आशीर्वाद से उन्होने इसमें भी सफलता हांसल कर ली। परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आगे की ट्रेनिंग के लिए फिर से जूनागढ़ पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज जाना हुआ। यहा प्रशिक्षण पूरा होने के बाद 2012 में पश्चिम कच्छ-भुज जिले में पुलिस सब इंस्पेक्टर के रूप में पहली पोस्टिंग मिली। उन्होने करीब पांच साल तक इस जिले में काम किया। यहां भुज सिटी, मांडवी सिटी, मांडवी मरिन पुलिस, नरा पुलिस स्टेशन, दयापर पुलिस स्टेशन और पध्धर पुलिस स्टेशन में काम किया। कच्छ में लगभग पाँच-छह साल की सेवा के बाद 2018 में गांधीनगर में उनका तबादला हो गया। उसके बाद वर्ष 2019 में  अहमदाबाद शहर में तबादला हुआ जहा पुलिस सब इन्स्पेक्टर के रुप में वर्ष 2022 तक उन्होने काम किया। वर्ष 2022 में ही उनको प्रमोशन मिला था, अहमदाबाद शहर के शाहीबाग डफनाला एन्टी करप्शन ब्युरो कार्यालय में पुलिस इन्स्पेक्टर के रूप में सेवा करने का अवसर मिला। तब से लेकर अब तक वर्तमान में एंटी करप्शन ब्यूरो में पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत है। वर्तमान में एन्टी करप्शन ब्यूरो में फिल्ड पुलिस इन्स्पेक्टर के तौर पर चार जिले की जिम्मेदारी निभा रहे है । सुभाषचंद्र का यह सफर इतना आसान या सरल नही था. बलकि बहुत दिलचस्प और संघर्षपूर्ण रहा। आज हरियाणा गौड ब्राह्मण समाज गौरवान्वित महसूस कर रहा है कि हमारे समाज में से भी कोई सदस्य गुजरात पुलिस सर्विस की सेवा में है। 


सुभाषजी अपने ड्युटी में थे तभी आगे की पढाई भी पूरी की. उन्होने अहमदाबाद शहर की कोलेज से बीए(गुजराती लिटरेचर) कम्प्लीट किया,उसके बाद LLB,LLM(क्रीमीनोलोजी) में पूरा किया। इसके लिए जब पुलिस कोन्स्टेबल की पोस्टिंग हुई थी उस दौरान ही सरकार से परिमशन मिलने के बाद ही उच्च अभ्यास पूरा किया था। यह वो दौर था कि जब उनके कंधे पर घर की जिम्मेदारी, पिता के व्यापार के साथ साथ पढाई और अपनी ड्यूटी यह सबकुछ एक साथ संभालना था। यह बेहद कठिन दौर था। सुभाष चंद्र शर्मा से बातचीत में हमें एक और दिलचस्प बात भी पता चली। सुभाष चंद्र ने भारतीय वायु सेना में एयरमैन (तकनीकी) के पद पर उत्तीर्ण हुए, लेकिन वे प्रतीक्षा सूची में थे। भारतीय नौसेना तटरक्षक परीक्षा भी उत्तीर्ण की। उसमें भी उनका नाम प्रतीक्षा सूची में ही रहा। स्कूली शिक्षा के दौरान से ही सुभाष चंद्र पुलिस विभाग में शामिल होना चाहते थे। वह कक्षा 8, 9 और 10 में स्कूल द्वारा आयोजित स्काउट गाइड के तालुका, जिला और राज्य स्तरीय शिविरों में भी भाग लिया करते थे । वहा से उन्हे प्रेरणा भी मिलती रही। और उन्होने उन्होंने जिला स्तर, तालुका स्तर पर ऊंची कूद, लंबी कूद, दौड़ और एथलेटिक्स में भाग लिया। खेलों में रुचि के कारण पुलिस में भर्ती होने के लिए काफी मदद भी मिली। इससे शारीरिक ताकत भी मिलती और परीक्षा में सफलता भी मिली। 


माता-पिता ही मेरे आदर्श रोल मोडेल है - सुभाषचंद्र शर्मा

सुभाष चंद्र शर्मा के पिता का नाम छत्रपाल नानीग्राम शर्मा (गोत्र-खुडाय़ा) है। उनका मूल गांव जीवा नगला, तहसील हाथरस जिला हाथरस उत्तर प्रदेश रहा है। जबकि माता का नाम रामवतीबेन छत्रपाल शर्मा है। सुभाषचंद्र की पत्नी का नाम सोनलबेन शर्मा है। उनके दो बच्चे हैं। एक प्रतीक शर्मा जो कंप्यूटर इंजीनियरिंग कर रहे हैं.जबकि उनकी एक बेटी है. जिसका नाम जिया है.जो अभी पहली कक्षा में है. सुभाषचंद्र की सबसे बडी बहन का नाम नीलमबेन शर्मा है जो वडोदरा में रहती है। सुभाषचंद्र के दो बड़े भाई भी हैं..एक का नाम विजयभाई शर्मा और दूसरे बडे भाई का नाम चंद्रेशभाई शर्मा है.उनके दोनों बड़े भाई पिता के डेयरी व्यवसाय से जुड़े हैं। सुभाषजी उनके परिवार में सबसे छोटे सदस्य है। 


अपनी युवावस्था में भी सुभाषजी सरकारी परीक्षा देने के लिए गुजरात और अन्य राज्यों के विभिन्न शहरों में जा चुके हैं। इससे एक बात तो तय है कि परिवार में अगर माता पिता का सहयोग सही दिशा में मिल जाता है तो बेटा हो या बेटी उसका बेडा पार हो जाता है। सुभाषचंद्र शर्मा के माता पिताने उन्हे परीक्षा एवं पढाई के लिए बहुत सहयोग किया। उस समय, नौसेना, थल सेना, बैकिंग, वायु सेना, रेलवे, पुलिस आदि विभिन्न भर्तियों के लिए परीक्षा देने के लिए दूसरे राज्यों के विभिन्न शहरों और गुजरात के शहरों में जाने के लिए उनकी माता किराया किराया देते थे। सुभाषचंद्र के लिए अगर कोई आदर्श या रोल मोडेल हो तो वह उनके मातापिता ही है। जिन्हे वह भगवान से बढकर प्यार करते है। एक समय था जब माँ पाँच रूपये खर्ची के लिए दिया करती थी। लेकिन उन्होने कभी इसका उपयोग अपने निजी खर्च के लिए नहीं किया. और एक साथ बड़ी रकम इकट्ठी हो जाती तो वह उसे वापस अपनी माँ के पास जमा कर देता थे। तब माता अचंबित रह जाती थी । ये बात तब की है जब वो 11वीं और 12वीं क्लास में साइंस पढ़ रहे थे। 


समाज सुधार में अपनी अहम भूमिका निभाए युवा वर्ग, आज का युवा सीखने और नई चीजों को तलाशने के लिए उत्सुक

सुभाषचंद्र शर्मा समाज की कई गतिविधिओ में आते जाते रहै है, पिछले कुछ अनुभव से उन्होने यही कहा की हमारा हरियाणा गौड ब्राह्मण समाज के युवावर्ग अपनी पढ़ाई में नंबर से ज्यादा अपने ज्ञान को बढाएं। उसके प्रेक्टिकल उपयोग को समझें। अपने में जीवन कौशल विकसित करें और खुद को आर्थिक रूप से ही नहीं जीवन जीने के लिए भी आत्मनिर्भर बनाएं ताकि अपने काम खुद कर सकें। युवा शक्ति देश और समाज की रीढ़ होती है। युवा देश और समाज को नए शिखर पर ले जाते हैं। युवा देश का वर्तमान हैं, तो भूतकाल और भविष्य के सेतु भी हैं। युवा गहन ऊर्जा और उच्च महत्वाकांक्षाओं से भरे हुए होते हैं। उनकी आंखों में भविष्य के इंद्रधनुषी स्वप्न होते हैं। समाज को बेहतर बनाने और राष्ट्र के निर्माण में सर्वाधिक योगदान युवाओं का ही होता है। युवा होने के नाते हमें समाज के ऐसे वर्ग का जीवन स्तर ऊंचा उठाने का प्रयास करना चाहिए, जो भिन्न-भिन्न कारणों से पिछड़ा हुआ है। समाज में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, परन्तु जानकारीयो का अभाव या धन की कमी के चलते उनका विकास नहीं हो पाता। जिसके कारण वे दिशा से भटक जाते है। हमें ऐसी प्रतिभाओं को ढूंढकर इनके विकास में सहयोग करना चाहिए। अपने करियर की प्रगति पर ध्यान देने के साथ-साथ आज के युवा को यह भी समझना होगा कि उन्हें समाज को भी कुछ लौटाना है। यदि हम अपना कार्य ईमानदारी और सजागता से करते हैं तो समाज निर्माण में ही सहायता कर रहे हैं। वर्तमान में बहुत सी ऐसी समस्याएं हैं, जिनसे समाज जूझ रहा है। उनमें से कुछ छोटे-छोटे ऐसे काम हैं, यदि हम चाहें तो ठीक हो सकते हैं। अपनी व्यस्त दिनचर्या में से युवा बेशक समय न निकाल पाएं, लेकिन वह अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति तो जागरूक रह ही सकते हैं। समाज के बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा से ही उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। बच्चों को शिक्षा के साथ अच्छे संस्कारों की जानकारी देकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। युवाओं के उचित मार्गदर्शन के लिए अति आवश्यक है कि उनकी क्षमता का सदुपयोग किया जाए। उनकी सेवाओं को प्रौढ़ शिक्षा तथा अन्य सरकारी योजनाओं के तहत चलाए जा रहे अभियानों में प्रयुक्त किया जा सकता है। किसी भी राष्ट्र का सभ्य युवा उसकी समाज को नई दिशा देकर उसे तरक्की की राह पर अग्रेसर करने की शक्ति रखता है। जरूरत है तो केवल उसे समय पर सही दिशा देने की। जिससे उसकी क्षमता व ताकत का समाज व देश के हित में सही उपयोग किया जा सके। प्रदेश संगठन को भी युवाओ की मदद के लिए विभिन्न प्रयास करने चाहिए।


समाज में ऐसा माहोल बने कि हम एक-दूसरे की मदद कर सकें

हरियाणा गौड़ ब्राह्मण समाज के बारे में गुजरात पत्रिका टीम को बताया कि हमारा समाज पिछड़ता जा रहा है। समाज में एकता एवं जागरूकता का अभाव तथा शिक्षा का अभाव है। सरकारी परीक्षाओं में भी लोगों की रुचि बहुत कम है। समाज के सदस्यों में व्यवसायिक रुचि अधिक है। समाज में रक्तदान एक स्वागत योग्य पहल है। समाजसेवा के कार्य और अधिक करने की जरूरत है। सुव्यवस्थित सामाजिक व्यवस्था का निर्माण इसकी प्राथमिक आवश्यकता है। समाज में कभी भी राजनीति नहीं होनी चाहिए बल्कि ऐसा माहौल बनना चाहिए जहां हम एक-दूसरे की मदद कर सकें। आज के आधुनिक युग में एक शिक्षित व्यक्ति भी एक सफल उद्योग स्थापित कर सकता है। कौशल एवं चातुर्य का प्रयोग कर सकते हैं। कारोबार का विस्तार भी कर सकते हैं. हर समाजबंधु जो भी काम करे वह श्रेष्ठतम करे। पूर्ण क्षमता से करे। ईमानदार जीवन जियो. फिर देखना आप जीवन का भरपूर आनंद भी उठाएंगे। वडोदरा में अखिल गुजरात हरियाणा गौड ब्राह्मण सेवा संगठन के प्रदेश युवा संगठन द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर में सुभाषजी शर्मा ने रक्तदान भी किया था, उस वख्त उन्होने समारोह में मंच से कहा कि युवा स्नेह मिलन जिला स्तरीय या राज्य स्तरीय होता रहना चाहिए. जिससे युवा एक दूसरे के संपर्क में आएंगे। परिचित होंगे और समाजबंधुओ भी एक दूसरे के करीब आएंगे। जिला स्तरीय रक्तदान भी होना चाहिए। इससे समाजबंधुओ को कभी भी रक्त की जरुरत पडे तो प्रदेश युवा संगठन मदद से उन्हे आसानी से मिल सकता है।


सुभाषजी ने बताए प्रतियोगी परीक्षा पास करने के कुछ टिप्स

पुलिस विभाग की परीक्षा हो या कोई प्रतियोगी परीक्षा, कक्षा पांच से कक्षा 10 तक की समाज शास्त्र, गणित, विज्ञान, अंग्रेजी की पुस्तकों का अध्ययन करना जरुरी है । कक्षा पांच से कक्षा 10 तक की जो पाठ्यपुस्तक है उस में वह सभी जानकारी समाविष्ट हो जाती है जो परीक्षा के लिए अहम होती है। नियमित रुप से समाचार पत्र पढना चाहिए और उसकी नोट बनाने से आपका करेन्ट अफैर्स शानदार रहेगा. सामान्य ज्ञान की किताब या मेगजिन पढ़नी चाहिए। इन किताबों को पढ़ना जीपीएससी-यूपीएससी परीक्षा में भी बहुत उपयोगी साबित होगा। अंग्रेजी समाचार पत्र भी नियमित रुप से पढ़ें। रोजगार समाचार भी जिला रोजगार कार्यालय पर उपलब्ध है. वह भी ओनलाईन पेमेन्ट से मंगवा सकते है. पुलिस भर्ती परीक्षा या किसी भी प्रतियोगी परीक्षा संबंधित तकलीफ या जानकारी प्राप्त करनी हो तो मार्गदर्शन के लिए कोई युवा कभी भी उनका संपर्क कर सकता है।


समाज के विभिन्न सदस्यों की मदद के लिए रहते हंमेशा तत्पर

अपनी ड्यूटी के साथ-साथ सुभाष चंद्र हरियाणा गौड ब्राह्मण समाज के विभिन्न लोगों की मदद भी करते रहे हैं। अक्सर अगर कोई कानूनी सलाह देनी हो या कोई कानूनी उलझन हो या पुलिस से मदद मांगने के लिए फोन आया हो तो वे हमेशा उनकी मदद के लिए मौजूद रहते हैं। आज अपने समाज में ऐसे कई अनगिनत लोग होंगे जिन्हें सुभाषभाई से मदद मिली होगी या उनसे संपर्क किया होगा। समुदाय के अनगिनत लोगों से मदद के लिए कॉल आती रहती है। उनकी सेवा भावना और समर्पण से प्रेरित होकर हाल ही में उन्हें गुजरात के दोनों संगठनों के प्रमुखों द्वारा सम्मानित किया गया। वे हमेशा कहते हैं कि कभी भी किसी मदद जरूरत हो तो हमें फोन कर लेना। हम कानून के दायरे में रहकर यथासंभव मदद करना जारी रखेंगे। उनकी एक खूबी यह है कि जब वह अपने समाजबंधुओ की मदद करते हैं तो उसके बारे में कभी जताते नही है। हरियाणा गौड ब्राह्मण समाज के सदस्यो को जब भी मदद की जरुरत हो तो उन्हे जरुर संपर्क कर सकते है।


एक आखिरी संदेश देते हुए सुभाष चंद्र शर्मा कहते हैं कि अगर सफल होना है तो योजनाबद्ध तरीके से काम करो, अपना लक्ष्य तय करो, कठोर मेहनत से मत भागो, कठोर परिश्रम का कोई विकल्प नही है, माता-पिता को ही अपना रोल मोडेल समझो, अपने माता-पिता का ख्याल रखो, उनकी भी सेवा करो, एक बात यह भी याद रखें कि आप सपने जरूर देखें लेकिन उसे पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत भी करें। इसलिए यह कहावत याद आ रही है अंत में सभी युवा समाजबंदुओ के नाम कहुंगा


"आप सोते वक्त देखते हे सपने वो सपने नहीं होते 

सपने वो होते हे जो आपको सोने नहीं देते।"

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