मथुरा से : धर्मनगरी के समीपवर्ती प्राचीन महत्व के गांव देवी आटस में प्राचीन योगमाया देवी मंदिर काफी प्रचलित है। इस प्राचीन स्थान को देवी योगमाया के प्राकट्य स्थल के रूप में पहचाना जाता है। इसी स्थान के समीप दैत्य अष्टावक्र ने गहन साधना कर देवी योगमाया का आशीर्वाद प्राप्त किया था। यहां कृष्ण कालीन मनसा देवी मंदिर पर चैत्र नवरात्रि एवं शारदीय नवरात्री के दिनो में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है ।
मान्यता है कि मथुरा के राजा कंस ने जब वासुदेव की आठवीं संतान को हत्या केइरादे से पत्थर पर पटक ना चाहा तभी योगमाया कंस के हाथ से छूटकर देवी रूप में प्रकट हुई थीं। कालांतर में इसी स्थान पर पूजा होती रही। मंदिर सेवायतों के अनुसार यहां कभी मानव बलि दी जाती थी फिर पशु बलि दी जाने लगी लेकिन अब बलि पर प्रतिबंध है। मान्यता है कि 1987 में बलि पर रोक लगाने के बाद माता ने पुजारी को आदेश दिया कि यहां प्रतिवर्ष विशाल मेला लगाया जाए। तभी से हर वर्ष यहां छठ मेला लगता है। इस स्थान पर मनसा देवी का भी मंदिर है।
मंदिर के पुजारी नेत्ररामने बताया कि सालो पहले मंदिर में स्वयंभू बिराजित हुई थी..इस मंदिर की कहानी त्रेतायुग में भगवान श्रीकृष्ण से जुडी हुई है...यहां दूर दूर से भक्त आते है ..इस मंदिर को योगमाया का मंदिर भी कहते है...गुजरात से भी भक्त यहां पर आते है
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